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तुम्हारी यादे

~ आभा पिल्ली



वोह जो एक रात थी


गर्दिश मे सितारे बैथे थे


आग के चारो और लोग बैथे थे


पुराने से नग्मे पीछे बज रहे थे


सब मधोशी मे बस सरद मै बैथे हुए थे


खेल कर थक हार कर हुम भी उस्स शमियाने मे बैथे गये


इस सोच मे हुम दूबे थे


जाने कब येह हस्सीन लम्हे हमे जीने को मिलेङे


फिर सुनी एक आवाज किसी शायर की


सुना रहा वोह राग अप्नी यारी की


कैसे वोह पल थे जब हम आये थे इस जमीन पर्


कैसी बनी हमारे यारी इन्ही बोत्त्ल और ग्लस्सेस और क्लस्सेस से


कैसे हुम्ने व्हो लम्हे जिये उन्हे प्लेसेमेन्त्स के दिनो मे


कैसे कुच अज्नबियोन से बन गयी ऐसी यारियान्


सुन कर येह तारिफ उस्के यारोन की आन्खोन मे एक नमी सी आ आगयी


सब उन पुरानी यादोन मे कही खो गये


ऐसी सोच मै दूब गये सोच कर की येह रास्त अब खतम होने को आगया है


येह रात और येह सितारे यहीन थम जाये


जाने कब येह यार हुमे वपिस मिलेङे


जाने कब वोह क्लास्सेस और बोत्त्लेन मिलेङी


जाने उन्हे यारोन को कौन येह बात बतायेगा…

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About The Author:

Abha Pilli is an inquisitive and jovial person. She loves to play throwball and write in her free time. She speaks less but is highly expressive with her words.

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